झारखंड उत्तरी गोलार्ध में तथा भारत के उत्तर पूर्वी भाग में स्थित है। झारखंड का कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 79,714 वर्ग किलोमीटर है। झारखंड में 1 राष्ट्रीय उद्यान( National park) तथा 11 वन्य जीव अभ्यारण्य(wildlife sanctuary of Jharkhand) है।
झारखंड जंगल, नदी, पहाड़, झरना, खनिज इत्यादि प्राकृतिक संसाधनों से भरा-पूरा प्रदेश है। झारखंड का कुल क्षेत्रफल में वन का प्रतिशत 29.76% है। क्षेत्रफल के हिसाब से सर्वाधिक वन क्षेत्र वाला जिला पश्चिमी सिंहभूम है तथा न्यूनतम क्षेत्र वाला जिला जामताड़ा है। वही प्रतिशत के हिसाब से देखा जाए तो लातेहार(56%) सर्वाधिक वन क्षेत्र वाला जिला है तथा जामताड़ा(5.85%) सबसे कम वन क्षेत्र वाला जिला है। झारखंड में प्रति व्यक्ति वन 0.08 हेक्टेयर है।
झारखंड सरकार द्वारा राज्य के वन्य जीव अभ्यारण्य(Wildlife sanctuary of Jharkhand) में 10 वर्ष की अवधि(time period) के लिए वन्य जीव प्रबंधन योजना की शुरुआत की गई है।
झारखंड सरकार के द्वारा state wildlife board का गठन किया गया है।
आइए हम इस लेख में राष्ट्रीय पार्क(National park) और वन्य जीव अभ्यारण्य (Wildlife sanctuary of Jharkhand) के बारे में विस्तार से जाने।
No. | Wildlife sanctuary of Jharkhand | District | Established | Famous wild animal |
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1. | पलामू वन्य जीव अभ्यारण्य | लातेहार | 1976 | हाथी, सांभर |
2. | हजारीबाग वन्य जीव अभ्यारण्य | हजारीबाग | 1976 | तेंदुआ, हिरण, सांभर |
3. | महुआडांड़ भेड़िया वन्य जीव अभ्यारण्य | लातेहार | 1976 | भेड़िया, हिरण |
4. | दालमा वन्य जीव अभ्यारण्य | पूर्वी सिंहभूम | 1976 | हाथी, तेंदुआ, हिरण |
5. | गौतम बुद्ध वन्य जीव अभ्यारण्य | कोडरमा | 1976 | चीतल, सांभर, नीलगाय |
6. | तोपचांची वन्य जीव अभ्यारण्य | धनबाद | 1978 | तेंदुआ, हिरण, जंगली भालू |
7. | लावालौंग वन्य जीव अभ्यारण्य | चतरा | 1978 | बाघ, तेंदुआ, नीलगाय, हिरण |
8. | पारसनाथ वन्य जीव अभ्यारण्य | गिरिडीह | 1984 | तेंदुआ, सांभर, हिरण, नीलगाय |
9. | कोडरमा वन्य जीव अभयारण्य | कोडरमा | 1985 | तेंदुआ, सांभर, हिरण |
10. | पालकोट वन्य जीव अभ्यारण्य | गुमला | 1990 | तेंदुआ, जंगली भालू |
11. | उधवा झील पक्षी विहार वन्य जीव अभ्यारण्य | साहेबगंज | 1991 | जल कौवा, बटान, किंगफिशर |
राष्ट्रीय उद्यान(National park) :-
बेतला राष्ट्रीय उद्यान(Betla National park)

Full form of BETLA- Bison, elephant, tiger, leopard, Axis- axis
बेतला राष्ट्रीय उद्यान(Betla National park) झारखंड का एकमात्र राष्ट्रीय उद्यान है। इसकी स्थापना 1986 ईस्वी में की गई थी। यह उद्यान लातेहार जिला में स्थित है तथा 226.32 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है।
सन् 1932 ईस्वी में विश्व की पहली बाघ जनगणना यहीं पर की गई थी।
1973-74 ई से यहां भारत सरकार द्वारा “बाघ परियोजना”(Project Tiger) की शुरुआत की गई।
पलामू बाघ आरक्ष्य (Palamu Tiger Reserve) झारखंड का एकमात्र टाइगर रिजर्व है।
यहां पर मुख्य रूप से बंदर, हिरण, हाथी, शेर, बाघ, तेंदुआ, जंगली सूअर, भालू, सांभर, चीतल, नीलगाय, मोर, वन मुर्गी, आदि वन्य-जीव प्राणी पाए जाते हैं।
झारखंड के वन्य जीव अभ्यारण्य (Wildlife sanctuary of Jharkhand)
1 पलामू वन्य जीव अभ्यारण्य(Palamu Wildlife sanctuary)
पलामू अभ्यारण्य एकमात्र ऐसा वन्य-जीव अभ्यारण है, जो राष्ट्रीय स्तर का है तथा शेष सभी अभयारण्य राज्य स्तरीय हैं। यह राज्य का सबसे पुराना तथा सबसे बड़ा वन्य जीव अभ्यारण्य है। जिसकी स्थापना 1976 ईस्वी में की गई थी, तथा यह 753 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैला हुआ है। यह बेतला नेशनल पार्क का ही एक भाग है।
पलामू वन्यजीव अभ्यारण झारखंड के पश्चिमी भाग में स्थित है। यह गर्मियों में गर्म और शुष्क होती है जबकि सर्दियों में ठंडी रहती है।
यहां मुख्य रूप से साल के वृक्ष पाए जाते हैं। इसके अलावा पीपल, शीशम, सागवान, बरगद आदि प्रजाति के भी पेड़ पाए जाते हैं।

पलामू टाइगर रिजर्व न केवल बाघ के लिए प्रसिद्ध है बल्कि यहां हाथी, बंदर, भालू, हिरण, तेंदुआ, जंगली सूअर, सांभर, मोर, वन मुर्गी, कोयल आदि अलग-अलग प्रकार के जीव जंतु पाए जाते हैं।
पलामू अभ्यारण्य को संरक्षित करने के लिए कई उपाय किए जा रहे हैं।
जैसे – बाघों की संख्या बढ़ाने के लिए विशेष कार्यक्रम चलाना,
जंगल की आग और अवैध कटाई को रोकने के लिए निगरानी
अवैध शिकार और वन्य-जीव तस्करी को रोकने के लिए सख्त कार्यवाही
पलामू अभ्यारण पर्यटकों को घूमने के लिए बहुत ही आकर्षक और मन मोह लेने वाला जगह है। लोग यहां आकर जंगल सफारी घूमते हैं तथा वन्य-जीव को देखकर आनंदित होते हैं।
अभयारण्य में आराम करने के लिए रूम, रेस्टोरेंट तथा गाइड सेवाएं उपलब्ध है।
हजारीबाग वन्य जीव अभयारण्य (Hazaribagh wildlife sanctuary)
हजारीबाग वन्य जीव अभ्यारण्य न केवल झारखंड का बल्कि भारत का भी एक प्रमुख राष्ट्रीय उद्यान है, जो हजारीबाग जिले में स्थित है। इसकी स्थापना 1976 ईस्वी में की गई थी, तथा यह लगभग 186.25 वर्ग किलोमीटर तक फैली हुई है। यह हजारीबाग शहर से 19 किलोमीटर तथा झारखंड की राजधानी रांची से 123 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
यह अभयारण्य अपनी समृद्ध जैव विविधता और प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है। यह अभयारण्य साल के पेड़ों से घिरा हुआ है। इसके अलावा यहां बरगद, पीपल, सागौन, शीशम और अन्य प्रजातियों के पेड़ भी पाए जाते हैं। अभ्यारण्य में बांस के जंगल भी पाए जाते हैं।

हजारीबाग वन्य जीव अभ्यारण्य में विभिन्न प्रकार के जीव-जंतु पाए जाते हैं। जिनमें तेंदुआ, हिरण, सांभर, चीतल आदि प्रमुख हैं। यहां पर पक्षियों की कई दुर्लभ प्रजातियां भी पाई जाती है।
हजारीबाग वन्य जीव अभ्यारण्य पर्यटकों के बीच काफी लोकप्रिय है। यहां लोग जंगल सफारी घूमते हैं और पशु पक्षियों को देखकर आनंदित महसूस करते हैं। यहां पर पर्यटकों को ठहरने के लिए रूम तथा रेस्टोरेंट भी उपलब्ध है। जिससे पर्यटकों को किसी भी तरह की असुविधा नहीं होती है।
महुआडांड़ भेड़िया वन्य जीव अभ्यारण्य (Mahuadarh wolf wildlife sanctuary of Jharkhand)
महुआडांड़ भेड़िया वन्य जीव अभ्यारण्य झारखंड के लातेहार जिले में स्थित है, जो झारखंड का ही नहीं बल्कि भारत का भी महत्वपूर्ण वन्यजीव अभ्यारण है। यह बेतला राष्ट्रीय उद्यान का ही एक भाग है। इसे सन् 1976 ईस्वी में भारतीय भेड़ियों के संरक्षण के लिए वन्य जीव अभ्यारण्य घोषित किया गया था। यह अभ्यारण्य 63.25 वर्ग किलोमीटर तक फैला हुआ है। यह हमारे देश का एकमात्र भेड़िया अभयारण्य है।
यह अभयारण्य मुख्य रूप से भारतीय भेड़ियों के संरक्षण के लिए समर्पित है। हालांकि यह अन्य जीव जंतुओं के लिए भी काफी महत्वपूर्ण है। जिनमें बंदर, लंगूर, चिंकारा, चीतल, जंगली सूअर आदि आते है। यहां विभिन्न प्रकार के पक्षियों के दुर्लभ प्रजातियां भी पाई जाती है।
यहां भारतीय भेड़ियों के संरक्षण के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य किए जाते हैं। जिसमें हमें भी मिल जुलकर इस अभयारण्य को संरक्षित करने के लिए सहयोग करना चाहिए
दलमा वन्य जीव अभ्यारण्य (Dalma wildlife sanctuary of Jharkhand)
दलमा वन्य जीव अभ्यारण्य झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले में स्थित है। यह 193.22 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैला हुआ है। यह अपने घने जंगलों, खूबसूरत पहाड़ियों और विभिन्न प्रकार के जीव जंतुओं के लिए भी जाना जाता है। इस अभ्यारण्य को विशेष रूप से हाथियों के संरक्षण के लिए चुना गया है। इस अभ्यारण्य में हाथियों की संख्या ज्यादा होने के कारण इसे “हाथियों का घर” भी कहा जाता है।

दलमा वन्य जीव अभ्यारण में हाथी के अलावा और भी जीव जंतु पाए जाते हैं। जिनमें तेंदुआ, लंगूर, बंदर, जंगली सूअर, सांभर, चीतल आदि आते हैं।
यहां पर मोर, तोता, उल्लू, मैंना, कठफोड़वा, कोयल आदि पक्षियां भी पाई जाती है।
दलमा वन्य जीव अभ्यारण में 1992 ईस्वी में एशियाई हाथियों के स्व-स्थाने संरक्षण( in-situ) के लिए हाथी परियोजना(Project elephant) शुरू की गई।
गौतम बुद्ध वन्य जीव अभ्यारण (Gautam budha wildlife sanctuary)
गौतम बुद्ध वन्य जीव अभ्यारण्य झारखंड के कोडरमा जिले में तथा बिहार राज्य के गया जिले में स्थित है। यह दोनों राज्यों के सीमा पर स्थित है। यह अभ्यारण्य 1976 ईस्वी में स्थापित किया गया तथा यह 121.14 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। यह वन्य जीव अभ्यारण्य बनने से पहले एक निजी शिकार रिजर्व क्षेत्र था।
यह अभयारण्य छोटा नागपुर के पठार तथा गंगा के मैदान के बीच एक संक्रमण क्षेत्र में स्थित है। जिससे यहां की जैव विविधता बहुत ज्यादा समृद्ध है।
इस अभयारण्य में विभिन्न प्रकार की वनस्पति पाई जाती है। जिनमें बांस के जंगल, घास के मैदान, साल के जंगल, झाड़ियां आदि शामिल है। जो कई जीव-जंतुओं के लिए अच्छा आवास प्रदान करती है।
गौतम बुद्ध वन्य जीव अभ्यारण्य में विभिन्न प्रकार के जीव जंतु भी पाए जाते हैं। जिनमें चीतल, सांभर, नीलगाय, जंगली सूअर, भालू, तेंदुआ, बाघ, भेड़िया आदि शामिल है। इसके साथ-साथ विभिन्न प्रकार के पक्षियों की प्रजातियां भी पाई जाती है।
तोपचांची वन्य-जीव अभ्यारण्य (Topchanchi wildlife sanctuary of Jharkhand)
तोपचांची वन्य-जीव अभ्यारण्य झारखंड के धनबाद जिले में तोपचांची शहर के पास स्थित है। यह अभयारण्य 1978 ईस्वी में स्थापित की गई थी, जो 12.82 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। इस अभयारण्य की भूमि में मुख्य रूप से शुष्क मिश्रित पर्णपाती है। यह जंगल मुख्य रूप से साल के पेड़ों से बने हैं। हालांकि इसके अलावा वन रहित मैदाने में बांस और घास जैसी अन्य वनस्पतियां भी पाई जाती है।
तोपचांची वन्य-जीव अभ्यारण्य में मुख्य रूप से तेंदुआ, हिरण, जंगली भालू, जंगली सूअर, भौंकने वाले हिरन आदि जीव-जंतु पाए जाते हैं।
तोपचांची अभयारण्य के बीच में “हरि पहाड़ी” नामक झील स्थित है।
लावालौंग वन्य जीव अभ्यारण्य (Lavalaung wildlife sanctuary of Jharkhand)
लावालौंग वन्य जीव अभ्यारण्य झारखंड के चतरा जिले में स्थित है तथा यह चतरा शहर से लगभग 35 किलोमीटर की दूरी पर है। इसकी स्थापना 1978 ईस्वी में की गई थी। यह अभयारण्य 211 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है।
लावालौंग वन्य जीव अभ्यारण्य पहले रामगढ़ के राजा और क्षेत्र के अन्य जमीदारों के कब्जे में था। बाद में सरकार ने 1924 में अपने कब्जे में लिया और 1947 में यह एक निजी संरक्षित वन बन गया। इसके बाद वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत इस अभयारण्य में पूरी तरह से रोक लगा दिया गया। सिर्फ गांव के लोगों को मवेशी चराने और जलावन की लकड़ी इकट्ठा करने का अधिकार है।
इस अभयारण्य में अधिकतर साल के वृक्ष पाए जाते हैं। हालांकि इसके अलावा बरगद, सागवान, पीपल, शीशम आदि के भी पेड़ पाए जाते हैं।
इस अभयारण्य में मुख्य रूप से बाघ, तेंदुआ, नीलगाय, हिरण, भारतीय हाथी, भालू, नेवला आदि जीव जंतु पाए जाते हैं।
इस अभ्यारण्य में एक विश्राम गृह भी है, जहां वन अधिकारी/कर्मचारी तथा पर्यटक विश्राम करते हैं।
पारसनाथ वन्य जीव अभ्यारण्य (Parasnath wildlife sanctuary of Jharkhand)
पारसनाथ वन्य जीव अभ्यारण्य झारखंड के गिरिडीह जिले में स्थित है। यह 49.33 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। इसकी स्थापना 1984 ईस्वी में की गई थी। यह समुद्र तल से 1371 मीटर की ऊंचाई पर है। यह गिरिडीह शहर से 16 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह अभ्यारण्य चारों तरफ से हरियाली से भरा हुआ है।
गिरिडीह में पारसनाथ की पहाड़ी है, जहां पर जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ ने निवाण की प्राप्ति की थी। इसी कारण इस अभयारण्य का नाम पारसनाथ वन्य-जीव अभ्यारण्य पड़ा।
इस अभयारण्य में मुख्य रूप से तेंदुआ, सांभर, हिरण, नीलगाय, लंगूर, बंदर, जंगली बिल्ली आदि पाए जाते हैं।
कोडरमा वन्य-जीव अभयारण्य (Koderma wildlife sanctuary of Jharkhand)
कोडरमा वन्य-जीव अभ्यारण्य झारखंड राज्य के कोडरमा जिले में स्थित है। यह गौतम बुद्ध वन्य-जीव अभ्यारण के नजदीक है। कोडरमा वन्य-जीव अभयारण्य की स्थापना 1985 ईस्वी में की गई थी तथा यह 177.35 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैला हुआ है।
इस वन्य-जीव अभ्यारण्य में विभिन्न प्रकार के पेड़-पौधे पाए जाते हैं। जिनमें साल, प्लास, खैर, महुआ, करंज, सेमल, बैर आदि के पेड़ पाए जाते हैं।
यहां पर विभिन्न प्रकार के जीव-जंतु भी पाए जाते हैं, जिसमें तेंदुआ, सांभर, हिरण, बाघ, भालू, लंगूर, सियार आदि महत्वपूर्ण है।
मेघा तारी तथा तारा घाटी में वॉच टावर है। मेघा तारी में एक विश्रामगृह भी है।
पालकोट वन्य-जीव अभयारण्य (Palkot wildlife sanctuary)
पालकोट वन्य-जीव अभ्यारण्य झारखंड के गुमला जिले में स्थित है। इसकी स्थापना 1990 ईस्वी में की गई थी तथा यह 182.83 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला हुआ है। यह गुमला शहर से 25 किलोमीटर तथा रांची शहर से 92 किलोमीटर दक्षिण पूर्व दिशा में स्थित है।
इसमें शुष्क पर्णपाती वन है। इस अभ्यारण्य में मुख्य रूप से तेंदुआ, जंगली भालू, हाथी, सियार, बंदर, खरगोश आदि पाए जाते हैं।
उधवा झील पक्षी विहार वन्य-जीव अभ्यारण्य (Udhwa jheel pakshi vihar wildlife sanctuary)
उधवा झील पक्षी विहार वन्य-जीव अभ्यारण्य झारखंड के साहेबगंज जिले में स्थित है, जो झारखंड का एकमात्र पक्षी विहार है। इसकी स्थापना 1991 में की गई थी। यह पक्षी विहार 5.65 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। यह पक्षी प्रेमियों के लिए स्वर्ग है।

उधवा झील पक्षी विहार पटोला झील और बरहेल झील को मिलाकर बनाया गया है। पहले इस पक्षी अभयारण्य की देखरेख का जिम्मा हजारीबाग वन प्रमंडल के अधीन था। हाल ही में इसे साहेबगंज प्रमंडल को सौंपने से इस अभयारण्य की स्थिति में बहुत ज्यादा सुधार देखने को मिल रहा है।
यह पक्षी विहार बहुत ही आकर्षक है। यहां देश-विदेश के पर्यटक घूमने आते हैं और आनंद प्राप्त करते हैं। यहां पर शिकारा बोटिंग के भी सुविधा है।
ठंड का मौसम शुरू होते ही यहां प्रवासी पक्षियों का आगमन शुरू हो जाता है। नवंबर से फरवरी के प्रथम सप्ताह तक यह अभ्यारण्य प्रवासी पक्षियों से भरा रहता है।
इस अभ्यारण में पाए जाने वाले प्रमुख पक्षी जल कौवा, बटान, किंगफिशर, गरुड़, चैता, टिमटिमा आदि है।