झारखंड भारत के खूबसूरत राज्यों में से एक है। यह अपनी प्राकृतिक सुंदरता, वनों और खनिज संसाधनों के लिए प्रसिद्ध तो है ही इसके अलावा यह कई धार्मिक स्थलों के लिए भी जाना जाता है। यहां कई प्रसिद्ध मंदिर है जिसका एक विशेष ऐतिहासिक महत्व है। इन मंदिरों में न केवल स्थानीय लोग दर्शन के लिए आते हैं, बल्कि दूर-दराज क्षेत्रों के से भी हजारों लाखों की संख्या में लोग दर्शन करने के लिए आते हैं। आईए हम लोग इस लेख में 11 famous temple of Jharkhand के बारे में जाने।
11 famous temple of Jharkhand
Temples | Place |
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बैद्यनाथ धाम मंदिर | देवघर |
बासुकीनाथ धाम | जरमुंडी (दुमका) |
जगन्नाथ मंदिर | जगन्नाथपुर (रांची) |
युगल मंदिर/नौलखा मंदिर | देवघर |
मां योगिनी मंदिर | बारकोपा पहाड़ी (गोड्डा) |
छिन्नमस्तिका मंदिर | रजरप्पा (रामगढ़) |
सूर्य मंदिर | बुंडू (रांची) |
पहाड़ी मंदिर | रांची |
देउड़ी मंदिर | तमाड़ (रांची) |
उग्रतारा मंदिर/नगर मंदिर | चंदवा (लातेहार) |
अंजन धाम मंदिर | गुमला |
1. बैद्यनाथ धाम मंदिर – देवघर, 11 famous temple of Jharkhand
बैद्यनाथ धाम मंदिर देवघर में स्थित है, जो भगवान शिव को समर्पित है। यह 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है। वर्तमान मंदिर का निर्माण 1514- 1515 में राजा पूरणमल के द्वारा किया गया है।
यह भारत के 51 शक्तिपीठों में से एक है। शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से ‘मनोकामना लिंग’ यहां स्थित है।

यहां ज्योतिर्लिंग तथा शक्तिपीठ दोनों है। मंदिर के शिखर पर पंचशुल स्थापित है। सावन के महीने में यहां कांवरियों की बहुत ही भव्य यात्रा निकलती हैं।
2. बासुकीनाथ धाम मंदिर – दुमका (जरमुंडी), 11 famous temple of Jharkhand
बासुकीनाथ धाम मंदिर जरमुंडी (दुमका) में स्थित है, जिसका निर्माण वसाकी ताती(हरिजन) ने कराया था। इसकी कहानी समुद्र मंथन से जुड़ी हुई है, जिसमें बासुकी नाथ को रस्सी तथा मंदरांचल पर्वत को मथनी बनाया गया था। यह मंदिर लगभग 150 years old है। शिवरात्रि के समय यहां पर विशाल मेला लगता है।

3. जगन्नाथ मंदिर – जगन्नाथपुर (रांची), 11 famous temple of Jharkhand
यह मंदिर रांची के जगन्नाथपुर में स्थित है, जिसका निर्माण 1691 ईस्वी में ठाकुर एनी शाह के द्वारा करवाया गया था। इसकी ऊंचाई लगभग 100 फिट है। इस मंदिर में जगन्नाथ, सुभद्रा तथा बलराम की मूर्तियां स्थापित है।

यह उड़ीसा(पुरी) के जगन्नाथपुर मंदिर के जैसा दिखता है।
रथ यात्रा के समय यहां बहुत बड़ा मेला का आयोजन किया जाता है।
4. युगल मंदिर/नौलखा मंदिर – देवघर, 11 famous temple of Jharkhand
युगल मंदिर को नौलखा मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इसका निर्माण में ₹900000 खर्च हुआ था। रानी चारूशीला ने दान के रूप में 9 लाख रुपए दिए थे। इसका निर्माण का शुरुआत 1936 ईस्वी में शुरू हुआ था
इसकी ऊंचाई 146 फिट है।

यह बेलूर के रामकृष्ण मंदिर की तरह दिखता है।
5. मां योगिनी मंदिर – बारकोपा पहाड़ी (गोड्डा), 11 famous temple of Jharkhand
यह मंदिर गोड्डा जिला में स्थित है। ऐसा माना जाता है कि यहां पर मां सती जी की दाहिनी जांघ गिरी हुई थी।
इसका निर्माण चारूशीला देवी ने कराया था। इस मंदिर में लाल रंग का कपड़ा चढ़ाने की प्रथा है। महाभारत में इसकी चर्चा ‘गुप्त योगिनी’ के नाम से की गई है।
6. छिन्नमस्तिका मंदिर – रजरप्पा (रामगढ़)
छिन्नमस्तिका मंदिर रामगढ़ के रजरप्पा में स्थित है। यह दामोदर तथा भैरवी(भेरा/भेड़ा) नदी के संगम पर स्थित है।
इस मंदिर में मां काली का धड़ से अलग सर की मूर्ति स्थापित है। इसी कारण इसे छिन्नमस्तिका मंदिर कहा जाता है।
यह मंदिर भारत के 51 शक्तिपीठों में से एक है। यहां तांत्रिक अपने तंत्र साधना करते हैं।

चारों तरफ जंगलों से घिरे होने के कारण इसका नाम वन दुर्गा मंदिर भी पड़ गया है। यहां नवरात्रि पूजा धूमधाम से किया जाता है।
7. सूर्य मंदिर – बुंडू (रांची)
यह मंदिर रांची-टाटा मार्ग पर स्थित है। यह मंदिर बहुत ही ज्यादा खूबसूरत है। खूबसूरत होने के कारण इसे ‘पत्थर पर लिखी कविता’ भी कहा जाता है।
इसका निर्माण ‘सूर्य के रथ’ की आकृति में किया गया है।

इसकी स्थापना ‘संस्कृति विहार’ संस्था द्वारा कराया गया था।
यहां पर छठ पूजा बहुत धूमधाम से मनाया जाता है।
8. पहाड़ी मंदिर – रांची
पहाड़ी मंदिर झारखंड की राजधानी रांची के टुंगडी़ पहाड़ी पर स्थित है। पहाड़ी के शिखर पर शिव मंदिर है, जिसका निर्माण पालकोट के राजा द्वारा किया गया था। इसकी ऊंचाई 300 फिट है तथा इसमें 468 चिड़िया बनी हुई है।
इस मंदिर में सावन के महीने में तथा महाशिवरात्रि के दिन बहुत ज्यादा भीड़भाड़ रहती है।

आजादी से पहले इस जगह का उपयोग अंग्रेज फांसी देने के लिए करते थे। 15 अगस्त 1947 से प्रत्येक स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस को यहां तिरंगा झंडा फहराया जाता है।
देउड़ी मंदिर – तमाड़ (रांची)
देउड़ी मंदिर रांची के तमाड़ में स्थित है। यहां 16 भुजी मां दुर्गा की मूर्ति स्थापित है, जिसमें मां दुर्गा शेर पर सवार नहीं है बल्कि कमल पर विराजमान है।
इसका निर्माण सिंहभूम के जनजातीय प्रमुख द्वारा कराया गया था।
इस मंदिर में 6 दिन पाहन(आदिवासी) तथा एक दिन ब्राह्मण पुजारी के द्वारा पूजा कराया जाता है। इस तरह से पूजा करना इस मंदिर की विशेषता दिखाती है। दशहरा में यहां बली भी दी जाने की प्रथा है।
उग्रतारा मंदिर/नगर मंदिर – चंदवा(लातेहार)
यह मंदिर लातेहार के चंदवा में स्थित है। इस मंदिर में देवी उग्रतारा और श्री कुल की देवी लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित है। इसके प्रांगण में कुछ बौद्ध प्रतिमाएं भी स्थित है।
इस मंदिर का निर्माण अहिल्याबाई ने मराठों के विजय स्मारक के रूप में कराया था।
अंजन धाम मंदिर – अंजन ग्राम (गुमला)
यह मंदिर गुमला के अंजान ग्राम में स्थित है। इस मंदिर को हनुमान जी का जन्म स्थान माना जाता है। यहां पर देवी अंजना की मूर्ति स्थापित है। इसके अलावा यहां पर चक्रधारी मंदिर तथा नकटी देवी का मंदिर भी स्थित है।
इस मंदिर के तीन ओर नेतरहाट पहाड़ी का विस्तार तथा south में कारवा नदी का अपवाह है।
निष्कर्ष (Conclusion) –
झारखंड के मंदिर न केवल आस्था का प्रतीक है, बल्कि इनमें झारखंड की प्राचीन वास्तुकला और इतिहास का भी संगम है। हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु इन मंदिरों का दर्शन करने आते हैं और इन मंदिरों को देखकर मंत्र मुग्ध हो जाते हैं। अतः ये मंदिर हमारा पर्यटन का भी हिस्सा बन चुके हैं।
झारखंड में कई अन्य छोटे-बड़े मंदिर भी हैं जिनका एक अलग ही महत्व है।
बेनी सागर का शिव मंदिर – पश्चिम सिंहभूम
रंकिणी मंदिर – घाटशिला(पूर्वी सिंहभूम)
मदन मोहन मंदिर – बोरेया
राम-सीता मंदिर – चुटिया (रांची)
टांगीनाथ धाम मंदिर – गुमला
कालेश्वरी मंदिर – कोल्हुआ पहाड़ (चतरा)
भद्रकाली मंदिर – इटखोरी का भदौली गांव
मौलिक्षा मंदिर – दुमका
बंशीधर मंदिर – नगर ऊंटारी (गढ़वा)